Wednesday, 3 April 2019

Avoid Political Debates. Avoid Pappu and Feku Talks


गर्माहट रहे, 🔥गर्मी न हो!💕

Be warm, Not Ugly! 💕
....................................

One day I got a call,

 'Hello Raju!

Recognized?'

After knowing the puzzles for a while, it came to know that on the other side there is a companion of my college days.

 In a moment, the age of the promises disappeared. Both of them started telling about their family and work to a different person.

Both live in Jodhpur. Only 10 minutes away in homes, yet never met!

The next family will meet on the next Sunday. Who are friends with each other? A list made of it And seeing the whole college-Kunba got united again.

 We made a WhatsApp Group Called ChildHood Friends.

 All the friends started getting news of each other.

A friend's daughter gets IIT If you get admission, then everyone will put the rest of the congratulations. As well as a joke -
That brother you were littered in reading,
Daughter is your own!

A friend's son attended the Asian Games from India,
Everyone's chest became wide.
This thing all told their colleagues.
Whenever a new satellite of India flew into the sky, it was reported that a friend working in ISRO also contributed to it.

Everyone likes it

But then changed the group's Fiza. A friend wrote something in praise of the Prime Minister,

 Some people supported it.

This thing went unnoticed by an incompetent partner.

He researched for hours, he also told the prime minister of the country's worst man and Rahul Gandhi as the youngest leader of the best, sensible, and new thinking and the poor minority

No one left the job to prove each other a lie, so much so that the individual scandal started

Figures all break out according to their own accord.

 Now there is no expert of any topic, but a 'academy' has started on the basis of listened to the list. And as often happens in these debates, the other friends reverted that 'you are the enemy of the country!'

Incompetent friend's heart gets deep throats. He told that he fills the tax every year, that he also donated to help the Kargil-war martyrs. And the biggest thing is that his elder brother is in the army.

He said, 'There is no patriot with talking. You read uneducated people! '

I do not understand how friends so much love each other can smear such a poison against each other? Those who did not leave each other in college time, stood on the shoulders on any issue, suddenly, what has happened to them suddenly?

They wrote - Friends! Whenever I look at the group I see these things: vote for it, do not vote for it.

That tea is tea
She is pppu
He is stupid
He is a fan

 His father was a thief.
 Her grandfather was Ayyash.
The Gujarat riots
It killed the Sikhs

What do we talk about if we meet together?

The purpose of the group is to share the happiness and happiness of one's life with each other. One has to help each other. Because of this group, we got rid of each other, it is better that we end the group. So meet when you meet together in love!

Talk guys understood. The group remained intact. Elections will come and go away.
Anybody win you just have to vote
Voting is not your responsibility
Parties will do their own propaganda
You can lose your best friend when you get into arguments
He will win
To win

If bitterness comes in friendship, it will not go away.

Action Point:

Avoid Political Debates.

It is better to give priority to your work and your relationships.









गर्माहट रहे, 🔥गर्मी न हो!💕
....................................

एक दिन मेरे  पास एक फोन आया,
 ‘हेलो   Raju !
पहचाना?’
कुछ देर पहेलियाँ बूझने के बाद पता चला कि दूसरी तरफ मेरे  कॉलेज के दिनों का साथी  है.

 एक पल में उम्र की सलवटें ग़ायब हो गईं. दोनों अपने परिवार और कामकाज के बारे में एक दूजे को बताने लगे.

दोनों जोधपुर में  ही रहते हैं. घरों में बस 10 मिनट की दूरी, फिर भी कभी मिले नहीं!

अगले ही रविवार को दोनों परिवार सहित मिले. एक दूसरे के सम्पर्क में कौन-कौन दोस्त हैं? इसकी एक सूची बनायी गयी. और देखते ही देखते पूरा कॉलेज-कुनबा फिर से एकजुट हो गया.

 हमने एक व्हाट्सअप ग्रुप बना लिया.

 सभी दोस्तों को एक दूसरे की ख़बरें मिलने लगीं.

एक दोस्त की बेटी को आय.आय.टी. में प्रवेश मिला तो सभी ने बधाइयों के अंबार लगा दिए. साथ ही मज़ाक भी हुआ--
कि भाई तुम तो पढ़ने में फिसड्डी थे,
बेटी तुम्हारी ही है न!

एक दोस्त के बेटे ने भारत की तरफ से एशियाई खेलों में शिरकत की,
सबका सीना चौड़ा हो गया.
ये बात सबने अपने सहकर्मियों को बताई.
जब भी भारत का कोई नया उपग्रह आकाश में उड़ता तो खबर आती कि ‘इसरो’ में काम करनेवाले एक दोस्त ने भी उसमें अपना योगदान दिया है.

सबको अच्छा लगता.

लेकिन फिर ग्रुप की फिज़ा बदली. एक दोस्त ने प्रधानमंत्री की तारीफ़ में कुछ लिखा,

 कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया.

ये बात एक असमर्थक साथी को नागवार गुज़री.

उसने घंटों तक रिसर्च की उसने भी प्रधानमंत्री की देश का सबसे बुरा आदमी और राहुल गांधी को सबसे अच्छा ,समझदार ,एवं नई सोच का युवा नेता और गरीबों अल्पसंख्यकों का मसीहा बताया

एक दूसरे को झूँठा साबित करने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी  बात इतनी बढ़ गई कि व्यक्तिगत लांछन शुरू हो गए

, आंकड़े सब अपने हिसाब से  तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं .

 अब कोई भी विषय का विशेषज्ञ तो है नहीं , पर सुनी सुनाई बातों के आधार पर एक ‘शास्त्रार्थ’ शुरू हो गया. और जैसा कि इन बहसों में अक्सर होता है, बाकी मित्रों ने पलटवार किया कि ‘तुम देश के दुश्मन हो!’

असमर्थक मित्र के दिल को गहरी ठेस पहुंची. उसने बताया कि वो हर साल टैक्स भरता है, कि उसने भी कारगिल-युद्ध के शहीदों की मदद के लिए दान दिया था. और सबसे बड़ी बात उसके बड़े भाई सेना में हैं.

उसने कहा, ‘बात करने से कोई देशभक्त नहीं होता. तुम लोग पढ़े लिखे अनपढ़ हो!’

मुझे समझ न आया कि एक दूसरे से इतना प्यार करनेवाले दोस्त एक दूसरे के खिलाफ ऐसा जहर कैसे उगल सकते हैं? जो लोग कॉलेज के ज़माने में कभी एक दूसरे का साथ न छोड़ते थे, किसी भी मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलकर खड़े होते थे अचानक उनको ये क्या हो गया है?

उन्होंने लिखा—दोस्तो! जब भी मैं ग्रुप देखता हूँ तो यही बातें दिखती हैं: इसको वोट दो. उसको मत दो.

वो चाय वाला है
वो पप्पू है
वो मूर्ख है
वो फेंकू है

 इसका बाप चोर था.
 उसके दादा  अय्याश  थे.
उसने गुजरात के दंगे करवाये
इसने सिखों को मरवाया

क्या हम आपस में मिलते हैं तो ये बातें करते हैं?

ग्रुप का मकसद एक दूसरे के साथ अपनी ज़िन्दगी के सुख-सुख बांटना है. एक दूसरे की सहायता करना है. इस ग्रुप के कारण एक दूसरे के प्रति वैमनस्य आये इससे बेहतर है कि हम ग्रुप को ख़त्म कर दें. ताकि जब मिलें तो आपस में प्यार से मिलें!

बात दोस्तों को समझ आयी. ग्रुप बरकरार रहा.

https://crazy-guru.anxietyattak.com/2019/04/avoid-political-debates-avoid-pappu-and.html

चुनाव तो आएंगे और चले जाएंगे.

कोई भी जीते आपको सिर्फ मतदान करना है

मतदान करवाना आपकी जिम्मेदारी नहीं

पार्टियां अपना प्रचार खुद कर लेंगी

बहसबाजी में पड़कर आप अपने अच्छे दोस्त को खो सकते हो

जीतेगा तो वो ही

जिसे जीतना है



दोस्ती में कड़वाहट आयी तो वो नहीं जायेगी.

एक्शन पॉइंट:

राजनीतिक बहसों से बचिए. अपने काम और अपने संबंधों को प्राथमिकता देना ही बेहतर है.👍🏻🙏🤝🌹



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