Sunday, 19 May 2019

Distance of Remaining Jyotirlingas from Ujjain

उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी है रोचक 

You will be surprised to know that there are such Shiva temples in India which have been constructed in a straight line from Kedarnath to Rameshwaram. Wondering how our ancestors had such a science and technology that we could not understand till date? Kedarnath of Uttarakhand, Kaleshwaram of Telangana, Kalahasti of Andhra Pradesh, Ekambareshwar of Tamil Nadu, Chidambaram and finally Rameswaram temples have been constructed in the geographical straight line of 79 ° E 41'54 "Longitude.

All of these temples represent an expression of gender in 5 elements of nature, which we call the Panch ghost in common language. Punch ghost means earth, water, fire, air and space. Based on these five elements, these five Shiv Lingars have been repaired. Water is represented in the Thiruvanavakal temple, the fire is represented in Tiruvannamalai, the representation of the wind is in Kalahasti, the representation of the earth is in Kanchipuram and in this place the representation of space or sky is in the Chidambaram temple! Vastu-Vignan-These five temples show a wonderful connection of Vedas.

Geographically, the specialty is also found in these temples. These five temples were built according to the science of yoga and were placed in a certain geographical alignment with each other. Behind this, there will definitely be some science which will affect the human body.

These temples were constructed nearly four thousand years ago when no satellite technology was available to measure the latitude and longitude of those places. Then how were five temples repaired so accurately? Answer: God knows only.

There is a distance of 2383 km between Kedarnath and Rameshwaram. But all these temples fall in a single parallel line. After all, using these techniques thousands of years ago, these temples have been built in a parallel line, it is a mystery to this day. The shimmering lamp in Shree Kalahasti temple shows that it is a wind . Water spring in the inner plateau of Tiruvanika temple reveals that this water is a gender. The huge lamp on the Annamalai hill shows that it is a fire penis. The self-styled gender of the sand of Kanchipuram reveals that it is the earth gender, and in the infinite phase of Chidambaram, God's innocence means that the sky element is known.

Now it is not surprising if it is that five sexes representing the five elements of the universe have been reproduced in a similar line centuries ago. We should be proud of the knowledge and wisdom of our forefathers that they had such a science and technology that modern science has not even distinguished it. It is believed that not only this five temples but there will be many temples in this line which falls in the direct line from Kedarnath to Rameshwaram. This line is also called "Shiv Shakti Aksh Line". Probably this entire temple has been built keeping Kailash in mind, which falls in 81.3119 ° E !? Answer: Shiva only know.

Amazing thing is the relationship between Shiva Jyotirlinges from "Mahakal" ...... ??

Approx Distance of Remaining Jyotirlingas from Ujjain is also interesting-

Somnath from Ujjain - 777 km

Omkareshwar from Ujjain - 111 km

Bhimashankar from Ujjain- 666 km

Kashi Vishwanath from Ujjain- 999 km

From Ujjain, Mallikarjuna- 999 km

Ujjain to Kedarnath- 888 km

Ujjain to Trimbakeshwar- 555 km

Bijnath from Ujjain- 999 km

Rameswaram from Ujjain - 1999 km

Ujjain to Ghrishneshwar - 555 km

In Hinduism, nothing was possible without any reason.

Ujjain is considered to be the center of the Earth. For those who have been considered as Centers for Sanatan Dharma since thousands of years, therefore, man-made instruments have also been made for calculating the Sun and the astrological calculations in Ujjain about 2050 years ago.

And when the imaginary line (cancer) on Earth was created by an English scientist about 100 years ago, then the middle part of Ujjain came out. Even today, scientists come to Ujjain for information about sun and space.


https://crazy-guru.anxietyattak.com/2019/05/distance-of-remaining-jyotirlingas-from.html

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की भारत में ऐसे शिव मंदिर है जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाये गये है। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कैसा विज्ञान और तकनीक था जिसे हम आज तक समझ ही नहीं पाये? उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडू का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंततः रामेश्वरम मंदिरों को 79° E 41’54” Longitude के भौगोलिक सीधी रेखा में बनाया गया है।

यह सारे मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे हम आम भाषा में पंच भूत कहते है। पंच भूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन्ही पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिव लिंगों को प्रतिष्टापित किया है। जल का प्रतिनिधित्व तिरुवनैकवल मंदिर में है, आग का प्रतिनिधित्व तिरुवन्नमलई में है, हवा का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में है, पृथ्वी का प्रतिनिधित्व कांचीपुरम में है और अतं में अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व चिदंबरम मंदिर में है! वास्तु-विज्ञान-वेद का अद्भुत समागम को दर्शाते हैं ये पांच मंदिर।

भौगॊलिक रूप से भी इन मंदिरों में विशेषता पायी जाती है। इन पांच मंदिरों को योग विज्ञान के अनुसार बनाया गया था, और एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इस के पीछे निश्चित ही कॊई विज्ञान होगा जो मनुष्य के शरीर पर प्रभाव करता होगा।

 इन मंदिरों का करीब चार हज़ार वर्ष पूर्व निर्माण किया गया था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध ही नहीं था। तो फिर कैसे इतने सटीक रूप से पांच मंदिरों को प्रतिष्टापित किया गया था? उत्तर भगवान ही जाने।

केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 किमी की दूरी है। लेकिन ये सारे मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में पड़ते है। आखिर हज़ारों वर्ष पूर्व किस तकनीक का उपयॊग कर इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाया गया है यह आज तक रहस्य ही है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है। तिरूवनिक्का मंदिर के अंदरूनी पठार में जल वसंत से पता चलता है कि यह जल लिंग है। अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक से पता चलता है कि वह अग्नि लिंग है। कंचिपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग से पता चलता है कि वह पृथ्वी लिंग है और चिदंबरम की निराकार अवस्था से भगवान के निराकारता यानी आकाश तत्व का पता लगता है।

अब यह आश्चर्य की बात नहीं तो और क्या है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करनेवाले पांच लिंगो को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही प्रतिष्टापित किया गया है। हमें हमारे पूर्वजों के ज्ञान और बुद्दिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास ऐसा विज्ञान और तकनीक था जिसे आधुनिक विज्ञान भी नहीं भेद पाया है। माना जाता है कि केवल यह पांच मंदिर ही नहीं अपितु इसी रेखा में अनेक मंदिर होगें जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में पड़ते है। इस रेखा को “शिव शक्ति अक्श रेखा” भी कहा जाता है। संभवता यह सारे मंदिर कैलाश को द्यान में रखते हुए बनाया गया हो जो 81.3119° E में पड़ता है!? उत्तर शिवजी ही जाने। ...

कमाल की बात है "महाकाल" से शिव ज्योतिर्लिंगों के बीच कैसा सम्बन्ध है......??

उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी है रोचक -

उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी
उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी
उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी
उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी
उज्जैन से,मल्लिकार्जुन- 999 किमी
उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी
उज्जैन से  त्रयंबकेश्वर- 555 किमी
उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
उज्जैन से रामेश्वरम- 1999 किमी
उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी

हिन्दु धर्म में कुछ भी बिना कारण के नही होता था ।
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । जो सनातन धर्म में हजारों सालों से केंद्र मानते आ रहे है इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गण ना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये है करीब 2050 वर्ष पहले ।

और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क)अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला । आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते है सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये।

जय श्री महाकाल

https://www.anxietyattak.com/2019/05/shivas-disrespect-is-to-walk-on-prime.html

Shivas disrespect is to walk on the prime ministers red carpet

शिव का अनादर है प्रधानमंत्री का लाल कालीन पर चलकर उन तक जाना 

Shiva's disrespect is to walk on the prime minister's red carpet

उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी है रोचक 
https://crazy-guru.anxietyattak.com/2019/05/distance-of-remaining-jyotirlingas-from.html

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