कोरोना नहीं शायद सतयुग आ
रहा है
It's Not Corona, Maybe the Golden Age is Coming
No worry of Sunday passing,
No fear of visiting monday
No temptation to make money
Desire not to spend
No wish to eat in the hotel
Joy of not walking
Neither gold nor silver
No money attachment
No new clothes to wear
Don't worry about dressing well
Have we reached the door of salvation
Looks like the Kalyug is over and the Satyug has arrived.
Puja, fasting fast, havan, Ramayana, Mahabharata.
Pollution free Environment.
Part 2 -
The crappy life ends.
Everybody's life is simple - everyone is eating pulses and bread.
Equality has come, no servants, everyone works together in the house.
Neither one is wearing expensive clothes nor is anyone wearing jewelry.
All 24 hours are remembering God.
People are doing immense charity.
Everyone's ego has fallen silent.
People are cooperating mutually.
All the children have come from outside and are living near the parents.
Bhajans are being performed at home every night.
If not this Golden Age, what else is there?
Nature is also peaceful,
All creatures are happy, this is the divine power.
ना Sunday बीतने की चिंता,
ना Monday आने का डर
ना पैसे कमाने का मोह
ना खर्च करणे की ख्वाइश्
ना होटल मे खाणे की इच्छा
ना घुमने जाणे की खुशी
ना सोना-चांदी का मोह
ना पैसे का मोह
ना नए कपड़े पहनने की एक्साइटमेन्ट
ना अच्छे से तैयार होने की चिंता
क्या हम मोक्ष के द्वार पर पहुंच गए है
लगता है कलयुग समाप्त हो गया और सतयुग आ गया है।
पूजा,व्रत उपवास,हवन,रामायण, महाभारत।
प्रदूषण रहित वातावरण।
भाग -दौड़ भरी जिंदगी समाप्त।
सादगी भरा सबका जीवन - सब दाल-रोटी खा रहे हैं।
समानता आ गयी है, कोई नौकर नहीं,घर में सब मिल जुलकर काम कर लेते हैं।
न कोई महँगे कपड़े पहन रहा है न कोई आभूषण धारण कर रहा है।
सब 24 घण्टे ईश्वर को ही याद कर रहे हैं।
लोग अपार दान धर्म कर रहे हैं।
सबका अहंकार शान्त हो गया है।
लोग परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
सब बच्चे बाहर से आकर माँ बाप के पास रहने लगे हैं।
घर घर भजन कीर्तन हो रहे हैं।
ये सतयुग नहीं तो और क्या है ?
प्रकृति भी शान्त है जीव जन्तु सभी खुश हैं यही तो ईश्वरीय शक्ति है।
🙏🏼Well Done Covid19 🌹🙏🏼
🤷♂
रहा है
It's Not Corona, Maybe the Golden Age is Coming
No worry of Sunday passing,
No fear of visiting monday
No temptation to make money
Desire not to spend
No wish to eat in the hotel
Joy of not walking
Neither gold nor silver
No money attachment
No new clothes to wear
Don't worry about dressing well
Have we reached the door of salvation
Looks like the Kalyug is over and the Satyug has arrived.
Puja, fasting fast, havan, Ramayana, Mahabharata.
Pollution free Environment.
Part 2 -
The crappy life ends.
Everybody's life is simple - everyone is eating pulses and bread.
Equality has come, no servants, everyone works together in the house.
Neither one is wearing expensive clothes nor is anyone wearing jewelry.
All 24 hours are remembering God.
People are doing immense charity.
Everyone's ego has fallen silent.
People are cooperating mutually.
All the children have come from outside and are living near the parents.
Bhajans are being performed at home every night.
If not this Golden Age, what else is there?
Nature is also peaceful,
All creatures are happy, this is the divine power.
ना Sunday बीतने की चिंता,
ना Monday आने का डर
ना पैसे कमाने का मोह
ना खर्च करणे की ख्वाइश्
ना होटल मे खाणे की इच्छा
ना घुमने जाणे की खुशी
ना सोना-चांदी का मोह
ना पैसे का मोह
ना नए कपड़े पहनने की एक्साइटमेन्ट
ना अच्छे से तैयार होने की चिंता
क्या हम मोक्ष के द्वार पर पहुंच गए है
लगता है कलयुग समाप्त हो गया और सतयुग आ गया है।
पूजा,व्रत उपवास,हवन,रामायण, महाभारत।
प्रदूषण रहित वातावरण।
भाग -दौड़ भरी जिंदगी समाप्त।
सादगी भरा सबका जीवन - सब दाल-रोटी खा रहे हैं।
समानता आ गयी है, कोई नौकर नहीं,घर में सब मिल जुलकर काम कर लेते हैं।
न कोई महँगे कपड़े पहन रहा है न कोई आभूषण धारण कर रहा है।
सब 24 घण्टे ईश्वर को ही याद कर रहे हैं।
लोग अपार दान धर्म कर रहे हैं।
सबका अहंकार शान्त हो गया है।
लोग परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
सब बच्चे बाहर से आकर माँ बाप के पास रहने लगे हैं।
घर घर भजन कीर्तन हो रहे हैं।
ये सतयुग नहीं तो और क्या है ?
प्रकृति भी शान्त है जीव जन्तु सभी खुश हैं यही तो ईश्वरीय शक्ति है।
🙏🏼Well Done Covid19 🌹🙏🏼
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