Thursday 27 August 2020

Story

कहानी
Story

It was late in the evening .. It was almost half past six .. The same hotel, the same side table and the same tea, with a puff of cigarettes… cigarette and sipping a cup of tea.

At the same time, a man sat at the front table with his nine-ten-year-old girl.

The man's shirt was torn, the top two buttons were missing. The pants too were sloppy, looking like a digger on the way.

The girl's frock was washed and she also wore a hair dye

Her face was very blissful and she was watching the entire hotel from here and there with great curiosity.

She was also repeatedly watching the fan running above her table, which was giving them cool air ..

She looked even happier sitting on a cushioned chair to sit on ..

At the same time the waiter put cold water in front of him in two clean glasses ..

The man ordered a dosa for his girl.

Hearing this order, the delight of the girl's face increased further ..

And for you? The waiter asked ..

No, I don't want anything: the man said.

In no time, the hot big one, the inflated dosa came, along with the sauce and sambhar ..
The girl got busy eating dosa. And looking at him curiously, he was drinking water ..

Then his phone rang. Same old phone. His friend got a call, he was telling that today is his girl's birthday and he has come to the hotel with her ..
He was telling that he had told his girl that if she would bring the first number to her school, he would feed her a dosa on her birthday ..

And she is eating dosa now ..

Some pause ..

No, how can we both eat? Where do we have this much money? Besan rice is made at home for me, is it not?

Due to being busy with his talk, I got hot tea and I returned to reality ..

No matter what ..
Both rich or poor can do anything to see the smile on their daughter's face ..

I got up and went to the counter and gave my tea and two dosas and gave the man another dosa, if he asked about the money, then tell him that we heard your words today is your daughter's birthday and that school I came in first number ..

Therefore, it is a reward for your girl from Hotell to speak to her for further better studies ..

But, do not forget to use the word "free" even if you forget, it will hurt the "self-respect" of that father.



The hotel manager smiled and said that this girl and her father are our guests today, thank you very much that you made us aware of this.

The entire responsibility of his hospitality is ours today. You will do this for pious work and any other needy.



The waiter put another dosa on the table, I was watching from outside ..



The girl's father was shocked and said that I had spoken the same dosa ..



Then the manager said, hey your girl has come first in school ..

So in the prize today, both of you are being given a dosa by Hotel,



The father's eyes filled up and he told his girl, "Look, if the daughter studies like this, see what you will get."



The father asked the waiter if I could get this dosa in a Parcel ?

If I took it home, both my wife and I would eat half-and-half together, she wouldn't get to eat it like that ...

No sir, eat your second dosa here.


I have made 3 dosas and a pack of sweets separately for your home.

Today you will go home and celebrate your daughter's birthday with great pomp and sweets so that you can distribute the whole locality.

Hearing this, my eyes were filled with joy,

I became convinced that wherever there is a will there is a way….

 Take a step forward for good work,


Then see what happens next !!




शाम हो चली थी.. लगभग साढ़े छह बजे थे.. वही हॉटेल, वही किनारे वाली टेबल और वही चाय, सिगरेट..सिगरेट के एक कश के साथ साथ चाय की चुस्की ले रहा था।

उतने में ही सामने वाली टेबल पर एक आदमी अपनी नौ-दस साल की लड़की को लेकर बैठ गया।

उस आदमी का शर्ट फटा हुआ था, ऊपर की दो बटने गायब थी. पैंट भी मैला ही था, रास्ते पर खुदाई का काम करने वाला मजदूर जैसा लग रहा था।

लड़की का फ्रॉक धुला हुआ था और उसने बालों में वेणी भी लगाई हुई था
उसके चेहरा अत्यंत आनंदित था और वो बड़े कुतूहल से पूरे हॉटेल को इधर-उधर से देख रही थी..
उनके टेबल के ऊपर ही चल रहे पँखे को भी वो बार-बार देख रही थी, जो उनको ठंडी हवा दे रहा था..

बैठने के लिये गद्दी वाली कुर्सी पर बैठकर वो और भी प्रसन्न दिख रही थी..

उसी समय वेटर ने दो स्वच्छ गिलासों में ठंडा पानी उनके सामने रखा..

उस आदमी ने अपनी लड़की के लिये एक डोसा लाने का आर्डर दिया.
यह आर्डर सुनकर लड़की के चेहरे की प्रसन्नता और बढ़ गई..

और आपके लिए? वेटर ने पूछा..

नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिये: उस आदमी ने कहा.

कुछ ही समय में गर्मागर्म बड़ा वाला, फुला हुआ डोसा आ गया, साथ में चटनी-सांभार भी..

लड़की डोसा खाने में व्यस्त हो गई. और वो उसकी ओर उत्सुकता से देखकर पानी पी रहा था..

इतने में उसका फोन बजा. वही पुराना वाला फोन. उसके मित्र का फोन आया था, वो बता रहा था कि आज उसकी लड़की का जन्मदिन है और वो उसे लेकर हॉटेल में आया है..

वह बता रहा था कि उसने अपनी लड़की को कहा था कि यदि वो अपनी स्कूल में पहले नंबर लेकर आयेगी तो वह उसे उसके जन्मदिन पर डोसा खिलायेगा..

और वो अब डोसा खा रही है..
थोडा पॉज..

नहीं रे, हम दोनों कैसे खा सकते हैं? हमारे पास इतने पैसे कहां है? मेरे लिये घर में बेसन-भात बना हुआ है ना..

उसकी बातों में व्यस्त रहने के कारण मुझे गर्म चाय का चटका लगा और मैं वास्तविकता में लौटा..

कोई कैसा भी हो..
अमीर या गरीब,दोनों ही अपनी बेटी के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिये कुछ भी कर सकते हैं..

मैं उठा और काउंटर पर जाकर अपनी चाय और दो दोसे के पैसे दिये और कहा कि उस आदमी को एक और डोसा दे दो, उसने अगर पैसे के बारे में पूछा तो उसे कहना कि हमनें तुम्हारी बातें सुनी आज तुम्हारी बेटी का जन्मदिन है और वो स्कूल में पहले नंबर पर आई है..
इसलिये हॉटेल की ओर से यह तुम्हारी लड़की के लिये ईनाम उसे आगे चलकर इससे भी अच्छी पढ़ाई करने को बोलना..
परन्तु, परंतु भूलकर भी "मुफ्त" शब्द का उपयोग मत करना, उस पिता के "स्वाभिमान" को चोट पहुचेंगी..

होटल मैनेजर मुस्कुराया और बोला कि यह बिटिया और उसके पिता आज हमारे मेहमान है, आपका बहुत-बहुत आभार कि आपने हमें इस बात से अवगत कराया।
उनकी आवभगत का पूरा जिम्मा आज हमारा है आप यह पुण्य कार्य और किसी अन्य जरूरतमंद के लिए कीजिएगा।

वेटर ने एक और डोसा उस टेबल पर रख दिया, मैं बाहर से देख रहा था..

उस लड़की का पिता हड़बड़ा गया और बोला कि मैंने एक ही डोसा बोला था..

तब मैनेजर ने कहा कि, अरे आपकी लड़की स्कूल में पहले नंबर पर आई है..
इसलिये ईनाम में आज हॉटेल की ओर से आप दोनों को डोसा दिया जा रहा है,

उस पिता की आँखे भर आई और उसने अपनी लड़की को कहा, देखा बेटी ऐसी ही पढ़ाई करेंगी तो देख क्या-क्या मिलेगा..

उस पिता ने वेटर को कहा कि क्या मुझे यह डोसा बांधकर मिल सकता है?
यदि मैं इसे घर ले गया तो मैं और मेरी पत्नी दोनों आधा-आधा मिलकर खा लेंगे, उसे ऐसा खाने को नहीं मिलता...

जी नहीं श्रीमान आप अपना दूसरा डोसा यहीं पर खाइए।
आपके घर के लिए मैंने 3 डोसे और मिठाइयों का एक पैक अलग से बनवाया है।

आज आप घर जाकर अपनी बिटिया का बर्थडे बड़ी धूमधाम से मनाइएगा और मिठाईयां इतनी है कि आप पूरे मोहल्ले को बांट सकते हो।

यह सब सुनकर मेरी आँखे खुशी से भर आई,
मुझे इस बात पर पूरा विश्वास हो गया कि जहां चाह वहां राह है....
 अच्छे काम के लिए एक कदम आप आगे तो बढ़ाइए,
फिर देखिए आगे आगे होता है क्या!!

👌👌👌🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊☺

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