मेरी उम्र 50 साल है,
25 साल की शादी,
हर मुश्किल में साथ रहने वाला पति,
2 खूबसूरत और प्यारे बच्चे है ।
भगवान का दिया वो सब कुछ जिसके लिए मैं हर रोज़ सुबह मुस्करा कर आँखें खोल सकती हूँ
और शुक्रिया कर सकती हूँ इस खूबसूरत जीवन का ।
ये पहली लाइन पढ़कर लग रहा होगा तो ये सब मैं यहाँ ऐसे लिख कर आप सबके साथ क्यूँ शेयर कर रही हूँ?
तो हुआ यूँ हाल ही में रिलीज़ हुई मूवी
"102 नॉट आउट" मैंने देखी ।
मूवी खत्म हुई और जबान से बस दो शब्द निकले वो थे "भई वाह"
बात बहुत सीधी साधी सी है मूवी का दर्शाया हुआ एक एक सीन मानों कहता हो
"बहुत मर लिया, अब तो जी ले, इतनी खूबसूरत ज़िंदगी मिली है, गम से गर फुर्सत मिली हो तो थोड़ा सुकून का घूँट भी पी ले ...
ऐसा नहीं बस बड़े बुजुर्गो के लिए ये मूवी बनी, ये मूवी हम सबसे बहुत सरल तरीके से कुछ न कुछ कहती है
जैसे - टाईम टेबल को फॉलो करना अच्छा है मगर खुद टाइम मशीन बन जाना बेवकूफी है ?
क्या हुआ जो आज 15 मिनट ज़्यादा आँख लग गयी ?
क्या हुआ जो महीने के 30 या 31 दिन में से 5 दिन बच्चों की स्कूल बस छूट गयी ?
क्या हुआ जो पति और बच्चों के लंच में बस ब्रैड बटर रखा?
क्या हुआ जो महीने में दो दिन खाना बाहर खाया ?
क्या हुआ जो कभी घर बिखरा है ?
क्या हुआ जो कोई आपको नहीं समझता ?
आप खुद को समझते हैं क्या इतना काफी नहीं ?
बिग डील !
गहरी सांस भरो और कभी बंद मुटठियों को खोल कर खुद से बात करो ।
सारे कामों में 10 में 10 नंबर लाकर कौन सा मैडल जीतने की रेस लगी है ?
मिला कोई जवाब ?
तो खुद के लिए जो कड़े मापदंड हमने खुद बना लिए हैं
उसको थोड़ा आसान बनाये और अपनी दिनचर्या में खुद को खुश करने वाली चीज़ों को भी थोड़ी जगह दें जैसे :
अपने स्वास्थ्य को नज़र अंदाज़ बिलकुल भी न करें, अपने लिए समय निकालें ।-
अपनी मन पसंद के रंग बिरंगे कपडे पहनें।
भूख लगने पर गर आप अपनी थाली सबसे पहले लगा लेंगी तो
भूचाल नहीं आएगा यकीन मानिये,
विमान में भी टेक ऑफ से पहले यही हिदायत होती है कि
"ऑक्सीजन की कमी होने पर पहले स्वयं की सहायता करें बाद में त्याग की मूर्ति बने |
मत भूलिए आपको अन्नपूर्णा माँ का दर्ज़ा मिला है, आप स्वयं भूखी भला कैसे रह सकती हैं |
सैर सपाटे पर अपनी सखियों के साथ निकलिए,
नयी नयी जगह देखिये,
लोगों से मिलिए,
ईश्वर ने बहुत बारीकी से इस दुनिया को तराशा है ।
दूसरों के नज़रिये से खुद को आंकना छोड़कर
ये देखिये कि आप हैं तो घर के हर कोने में रंग बिखरे हैं,
बच्चे बेफिक्र हैं और पति घर की तरफ लापरवाह - हाहाहाहाहा😃।
और बताइये भला एक नन्हीं सी जान क्या क्या करे ?
प्लीज यू आल लवली लेडीज
"दूसरों के लिए जीना ये हमारी ज़िम्मेदारी है,
*इस ज़िम्मेदारी की बीच थोड़ी चीटिंग अगर खुद की ख़ुशी के लिए करेंगी तो हम सब भी साल दर साल हँसते खेलते कह सकते हैं
"वी आर नॉट आउट"
मैं तो अब से हर साल, हर दिन कहूँगी
"आई ऍम नॉट आउट"
सब करते हुए भी
खुद की खुशियों को समय देना मैं कभी नहीं भूलूँगी।.......
🤗🤗🤗
Jaroor padhe...
especially you all
25 साल की शादी,
हर मुश्किल में साथ रहने वाला पति,
2 खूबसूरत और प्यारे बच्चे है ।
भगवान का दिया वो सब कुछ जिसके लिए मैं हर रोज़ सुबह मुस्करा कर आँखें खोल सकती हूँ
और शुक्रिया कर सकती हूँ इस खूबसूरत जीवन का ।
ये पहली लाइन पढ़कर लग रहा होगा तो ये सब मैं यहाँ ऐसे लिख कर आप सबके साथ क्यूँ शेयर कर रही हूँ?
तो हुआ यूँ हाल ही में रिलीज़ हुई मूवी
"102 नॉट आउट" मैंने देखी ।
मूवी खत्म हुई और जबान से बस दो शब्द निकले वो थे "भई वाह"
बात बहुत सीधी साधी सी है मूवी का दर्शाया हुआ एक एक सीन मानों कहता हो
"बहुत मर लिया, अब तो जी ले, इतनी खूबसूरत ज़िंदगी मिली है, गम से गर फुर्सत मिली हो तो थोड़ा सुकून का घूँट भी पी ले ...
ऐसा नहीं बस बड़े बुजुर्गो के लिए ये मूवी बनी, ये मूवी हम सबसे बहुत सरल तरीके से कुछ न कुछ कहती है
जैसे - टाईम टेबल को फॉलो करना अच्छा है मगर खुद टाइम मशीन बन जाना बेवकूफी है ?
क्या हुआ जो आज 15 मिनट ज़्यादा आँख लग गयी ?
क्या हुआ जो महीने के 30 या 31 दिन में से 5 दिन बच्चों की स्कूल बस छूट गयी ?
क्या हुआ जो पति और बच्चों के लंच में बस ब्रैड बटर रखा?
क्या हुआ जो महीने में दो दिन खाना बाहर खाया ?
क्या हुआ जो कभी घर बिखरा है ?
क्या हुआ जो कोई आपको नहीं समझता ?
आप खुद को समझते हैं क्या इतना काफी नहीं ?
बिग डील !
गहरी सांस भरो और कभी बंद मुटठियों को खोल कर खुद से बात करो ।
सारे कामों में 10 में 10 नंबर लाकर कौन सा मैडल जीतने की रेस लगी है ?
मिला कोई जवाब ?
तो खुद के लिए जो कड़े मापदंड हमने खुद बना लिए हैं
उसको थोड़ा आसान बनाये और अपनी दिनचर्या में खुद को खुश करने वाली चीज़ों को भी थोड़ी जगह दें जैसे :
अपने स्वास्थ्य को नज़र अंदाज़ बिलकुल भी न करें, अपने लिए समय निकालें ।-
अपनी मन पसंद के रंग बिरंगे कपडे पहनें।
भूख लगने पर गर आप अपनी थाली सबसे पहले लगा लेंगी तो
भूचाल नहीं आएगा यकीन मानिये,
विमान में भी टेक ऑफ से पहले यही हिदायत होती है कि
"ऑक्सीजन की कमी होने पर पहले स्वयं की सहायता करें बाद में त्याग की मूर्ति बने |
मत भूलिए आपको अन्नपूर्णा माँ का दर्ज़ा मिला है, आप स्वयं भूखी भला कैसे रह सकती हैं |
सैर सपाटे पर अपनी सखियों के साथ निकलिए,
नयी नयी जगह देखिये,
लोगों से मिलिए,
ईश्वर ने बहुत बारीकी से इस दुनिया को तराशा है ।
दूसरों के नज़रिये से खुद को आंकना छोड़कर
ये देखिये कि आप हैं तो घर के हर कोने में रंग बिखरे हैं,
बच्चे बेफिक्र हैं और पति घर की तरफ लापरवाह - हाहाहाहाहा😃।
और बताइये भला एक नन्हीं सी जान क्या क्या करे ?
प्लीज यू आल लवली लेडीज
"दूसरों के लिए जीना ये हमारी ज़िम्मेदारी है,
*इस ज़िम्मेदारी की बीच थोड़ी चीटिंग अगर खुद की ख़ुशी के लिए करेंगी तो हम सब भी साल दर साल हँसते खेलते कह सकते हैं
"वी आर नॉट आउट"
मैं तो अब से हर साल, हर दिन कहूँगी
"आई ऍम नॉट आउट"
सब करते हुए भी
खुद की खुशियों को समय देना मैं कभी नहीं भूलूँगी।.......
🤗🤗🤗
Jaroor padhe...
especially you all
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by Capt Shekhar Gupta and Shina Kalra | 1 January 2019
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