दोस्तों इसे जरूर पढ़ना कहानी लंबी है पर हकीकत शायद हमारी अपनी कहानी हो सकती है
न पत्नी न बेटा न बेटी न घर आपका है
न परिवार आपका है
सब मोह-माया झूठी है
राम गोपाल सिंह एक सेवानिवृत अधिकारी हैं ..सुबह दस बजे तक एकदम स्वस्थ थे और शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ- साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं ।
परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते मार्शल का बसेरा है । राम गोपाल जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने परिवार के सदस्य की तरह पालकर इसको नाम दिया मार्शल ।
इसी कमरे में अब राम गोपाल जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं । बेटों-बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये ।
सरकार द्वारा जारी नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मोहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया । साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए, हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की कोई एक बूढी अम्मा आई और राम गोपाल जी की पत्नी से बोली -"अरे कोई इसके पास दूर से खाना सरका दो , अस्पताल वाले तो इसे भूखे को ही ले जाएँगे" ।
अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देनें के लिये जाए कौन ? बहुओं ने खाना अपनी सास को पकड़ा दिया अब राम गोपाल जी की पत्नी के हाथ , थाली पकड़ते ही काँपने लगे , पैर मानो खूँटे से बाँध दिये गए हों ।
इतना देखकर वह पड़ोसन बूढ़ी अम्मा बोली "अरी तेरा तो पति है तू भी ........। मुँह बाँध के चली जा और दूर से थाली सरका दे वो अपने आप उठाकर खा लेगा" । यह सारा वार्तालाप राम गोपाल जी चुपचाप सुन रहे थे , उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से उन्होंने कहा कि "कोई मेरे पास ना आये तो बेहतर है , मुझे भूख भी नहीं है" ।
इसी बीच एम्बुलेंस आ गई और राम गोपाल जी को एम्बुलेंस में बैठने के लिये बोला गया । राम गोपाल जी घर के दरवाजे पर आकर एक बार पलटकर अपने घर की तरफ देखते हैं । पोती -पोते First floor की खिड़की से मास्क लगाए दादा को निहारते हुए और उन बच्चों के पीछे सर पर पल्लू रखे उनकी दोनों बहुएँ दिखाई पड़ती हैं । Ground floor पर, दोनों बेटे काफी दूर अपनी माँ के साथ खड़े थे ।
विचारों का तूफान राम गोपाल जी के अंदर उमड़ रहा था । उनकी पोती ने उनकी तरफ हाथ हिलाते हुए Bye कहा । एक क्षण को उन्हें लगा कि 'जिंदगी ने अलविदा कह दिया'
राम गोपाल जी की आँखें नम हो गई । उन्होंने एम्बुलेंस मे बैठकर अपने घर की देहरी को चूमा और एम्बुलेंस चली गई ।
उनकी पत्नी ने तुरंत पानी से भरी बाल्टी घर की उस देहरी पर उड़ेल दी जिसको राम गोपाल चूमकर एम्बुलेंस में बैठे थे ।
इसे तिरस्कार कहो या मजबूरी , लेकिन ये दृश्य देखकर कुत्ता भी रो पड़ा और उसी एम्बुलेंस के पीछे - पीछे हो लिया जो राम गोपाल जी को अस्पताल ले जा रही थी ।
राम गोपाल जी अस्पताल में 14 दिनों के अब्ज़र्वेशन पीरियड में रहे । उनकी सभी जाँच सामान्य थी । उन्हें पूर्णतः स्वस्थ घोषित करके छुट्टी दे दी गयी । जब वह अस्पताल से बाहर निकले तो उनको अस्पताल के गेट पर उनका कुत्ता मार्शल बैठा दिखाई दिया । दोनों एक दूसरे से लिपट गये । एक की आँखों से गंगा तो एक की आँखों से यमुना बहे जा रही थी ।
तब तक उनके बेटों की लम्बी गाड़ी उन्हें लेने पहुँचती तब तक वो अपने कुत्ते को लेकर किसी दूसरी दिशा की ओर निकल चुके थे
और उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिये ।
आज उनके फोटो के साथ उनकी गुमशुदगी की खबर छपी है अखबार में लिखा है कि सूचना देने वाले को 10 हजार का ईनाम दिया जायेगा ।
10 हजार - हाँ पढ़कर ध्यान आया
कि इतनी ही तो मासिक पेंशन आती थी उनकी जिसको वो परिवार के ऊपर हँसते गाते उड़ा दिया करते थे।
एक बार रामगोपाल जी के जगह पर स्वयं को खड़ा कर कल्पना करो कि कहीं इस कहानी में आप किरादार होते ? आपका सारा अहंकार और सब मोहमाया खत्म हो जाएगी ।
इसलिए परिवार की जिम्मेदारी से मुंह मोड़े बिना कुछ पुण्य कमा लीजिए । अपने आसपास देखिए और गरीब लचार, मूक पशुओं की सहायता कीजिए । जीवन में कुछ नहीं है, कोई अपना नहीं है जब तक स्वार्थ है तभी तक आपके सब हैं।
जीवन एक सफ़र है
मौत उसकी मंजिल है
मोक्ष का द्वार कर्म है ।
यही एक सत्य है
कहानी अच्छी लगी इसलिए इसे फारवर्ड कर रहा हूँ
https://crazy-guru.anxietyattak.com/2020/04/the-story-is-certainly-long-to-read-but.html
The story is certainly long to read but In reality, maybe our own story
Neither wife nor son nor daughter is home
Neither family is yours
All fascination is false
Ram Gopal Singh is a retired officer .. He was very healthy till ten o'clock in the morning and with high fever at seven in the evening, he started showing all the symptoms which are seen inside a corona positive patient.
Fear was visible on the faces of family members. His cot was put in an old large outer room in the house in which his pet dog, Marshall, is inhabited. Ram Gopal ji had picked up a small injured puppy from the road a few years ago and raised it like a member of his family and named it Marshal.
It is now in this room that Ram Gopal ji, his cot and his beloved marshal. The sons and daughters-in-law made a distance and the children were instructed not to know the pass.
Information was given by calling the number issued by the government. The news had spread throughout the locality but no one came to meet. Wrapped in the sari's leg, a old lady from the neighborhood came to Amma and said to Ram Gopal ji's wife - "Hey, let someone shove food from near it, the hospitalists will take it to the hungry".
Now the question was, who should go to give them food? The daughters-in-law grabbed their mother-in-law, now the hands of Ram Gopal ji's wife started trembling as they held the plate, as if the legs were tied with pegs.
Seeing this, the neighbor said, Amma said, "Ari tera to pati hai tu bhi ......... Go face up and shrug the plate from afar, he will pick himself up and eat". Ram Gopal ji was listening silently to this conversation, his eyes were moist and he said to the shaking lips that "It is better if no one comes to me, I am not hungry either".
Meanwhile, the ambulance arrived and Ram Gopal ji was asked to sit in the ambulance. Ram Gopal ji comes to the door of the house and turns once and looks towards his house. Granddaughter - Grandson looking at the grandfather wearing a mask from the window of the first floor and both his daughters-in-law are seen behind those children. On the ground floor, the two sons were standing far away with their mother.
The storm of thoughts was rising inside Ram Gopal Ji. His granddaughter said Bye while shaking her hand. For a moment he felt 'Zindagi has said goodbye'
Ram Gopal ji's eyes became moist. Sitting in the ambulance, he kissed the dehri of his house and the ambulance left.
His wife immediately poured a bucket full of water at the door of the house, which Ram Gopal kissed and sat in the ambulance.
Call it disdain or helplessness, but seeing this scene, the dog too cried and followed the same ambulance which was taking Ram Gopal ji to the hospital.
Ram Gopal ji stayed in the hospital for a period of 14 days. All their investigations were normal. He was declared completely healthy and discharged. When he came out of the hospital, he saw his dog Marshall sitting at the hospital gate. Both hug each other. Ganges was flowing from one's eyes and Yamuna was flowing from one's eyes.
By the time his sons' long car reached to pick him up, by then he had left for another direction with his dog.
And after that he never appeared.
Today, the news of his disappearance has appeared with his photo, it is written in the newspaper that a reward of 10 thousand will be given to the informer.
10 thousand - Yes, I meditated after reading
That was the amount of monthly pension that he used to throw away laughing at the family.
Once, standing on the place of Ram Gopal ji, imagine that you were a tenant in this story? All your ego and all delights will come to an end.
So earn some merit without turning your back on the responsibility of family. Look around you and help the poor helpless, dumb animals. There is nothing in life, no one is your own as long as there is selfishness.
Life is a journey
Death is its destination
The door to salvation is karma.
This is the truth
Love the story so i'm forwarding it
न पत्नी न बेटा न बेटी न घर आपका है
न परिवार आपका है
सब मोह-माया झूठी है
राम गोपाल सिंह एक सेवानिवृत अधिकारी हैं ..सुबह दस बजे तक एकदम स्वस्थ थे और शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ- साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं ।
परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते मार्शल का बसेरा है । राम गोपाल जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने परिवार के सदस्य की तरह पालकर इसको नाम दिया मार्शल ।
इसी कमरे में अब राम गोपाल जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं । बेटों-बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये ।
सरकार द्वारा जारी नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मोहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया । साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए, हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की कोई एक बूढी अम्मा आई और राम गोपाल जी की पत्नी से बोली -"अरे कोई इसके पास दूर से खाना सरका दो , अस्पताल वाले तो इसे भूखे को ही ले जाएँगे" ।
अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देनें के लिये जाए कौन ? बहुओं ने खाना अपनी सास को पकड़ा दिया अब राम गोपाल जी की पत्नी के हाथ , थाली पकड़ते ही काँपने लगे , पैर मानो खूँटे से बाँध दिये गए हों ।
इतना देखकर वह पड़ोसन बूढ़ी अम्मा बोली "अरी तेरा तो पति है तू भी ........। मुँह बाँध के चली जा और दूर से थाली सरका दे वो अपने आप उठाकर खा लेगा" । यह सारा वार्तालाप राम गोपाल जी चुपचाप सुन रहे थे , उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से उन्होंने कहा कि "कोई मेरे पास ना आये तो बेहतर है , मुझे भूख भी नहीं है" ।
इसी बीच एम्बुलेंस आ गई और राम गोपाल जी को एम्बुलेंस में बैठने के लिये बोला गया । राम गोपाल जी घर के दरवाजे पर आकर एक बार पलटकर अपने घर की तरफ देखते हैं । पोती -पोते First floor की खिड़की से मास्क लगाए दादा को निहारते हुए और उन बच्चों के पीछे सर पर पल्लू रखे उनकी दोनों बहुएँ दिखाई पड़ती हैं । Ground floor पर, दोनों बेटे काफी दूर अपनी माँ के साथ खड़े थे ।
विचारों का तूफान राम गोपाल जी के अंदर उमड़ रहा था । उनकी पोती ने उनकी तरफ हाथ हिलाते हुए Bye कहा । एक क्षण को उन्हें लगा कि 'जिंदगी ने अलविदा कह दिया'
राम गोपाल जी की आँखें नम हो गई । उन्होंने एम्बुलेंस मे बैठकर अपने घर की देहरी को चूमा और एम्बुलेंस चली गई ।
उनकी पत्नी ने तुरंत पानी से भरी बाल्टी घर की उस देहरी पर उड़ेल दी जिसको राम गोपाल चूमकर एम्बुलेंस में बैठे थे ।
इसे तिरस्कार कहो या मजबूरी , लेकिन ये दृश्य देखकर कुत्ता भी रो पड़ा और उसी एम्बुलेंस के पीछे - पीछे हो लिया जो राम गोपाल जी को अस्पताल ले जा रही थी ।
राम गोपाल जी अस्पताल में 14 दिनों के अब्ज़र्वेशन पीरियड में रहे । उनकी सभी जाँच सामान्य थी । उन्हें पूर्णतः स्वस्थ घोषित करके छुट्टी दे दी गयी । जब वह अस्पताल से बाहर निकले तो उनको अस्पताल के गेट पर उनका कुत्ता मार्शल बैठा दिखाई दिया । दोनों एक दूसरे से लिपट गये । एक की आँखों से गंगा तो एक की आँखों से यमुना बहे जा रही थी ।
तब तक उनके बेटों की लम्बी गाड़ी उन्हें लेने पहुँचती तब तक वो अपने कुत्ते को लेकर किसी दूसरी दिशा की ओर निकल चुके थे
और उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिये ।
आज उनके फोटो के साथ उनकी गुमशुदगी की खबर छपी है अखबार में लिखा है कि सूचना देने वाले को 10 हजार का ईनाम दिया जायेगा ।
10 हजार - हाँ पढ़कर ध्यान आया
कि इतनी ही तो मासिक पेंशन आती थी उनकी जिसको वो परिवार के ऊपर हँसते गाते उड़ा दिया करते थे।
एक बार रामगोपाल जी के जगह पर स्वयं को खड़ा कर कल्पना करो कि कहीं इस कहानी में आप किरादार होते ? आपका सारा अहंकार और सब मोहमाया खत्म हो जाएगी ।
इसलिए परिवार की जिम्मेदारी से मुंह मोड़े बिना कुछ पुण्य कमा लीजिए । अपने आसपास देखिए और गरीब लचार, मूक पशुओं की सहायता कीजिए । जीवन में कुछ नहीं है, कोई अपना नहीं है जब तक स्वार्थ है तभी तक आपके सब हैं।
जीवन एक सफ़र है
मौत उसकी मंजिल है
मोक्ष का द्वार कर्म है ।
यही एक सत्य है
कहानी अच्छी लगी इसलिए इसे फारवर्ड कर रहा हूँ
https://crazy-guru.anxietyattak.com/2020/04/the-story-is-certainly-long-to-read-but.html
The story is certainly long to read but In reality, maybe our own story
Neither wife nor son nor daughter is home
Neither family is yours
All fascination is false
Ram Gopal Singh is a retired officer .. He was very healthy till ten o'clock in the morning and with high fever at seven in the evening, he started showing all the symptoms which are seen inside a corona positive patient.
Fear was visible on the faces of family members. His cot was put in an old large outer room in the house in which his pet dog, Marshall, is inhabited. Ram Gopal ji had picked up a small injured puppy from the road a few years ago and raised it like a member of his family and named it Marshal.
It is now in this room that Ram Gopal ji, his cot and his beloved marshal. The sons and daughters-in-law made a distance and the children were instructed not to know the pass.
Information was given by calling the number issued by the government. The news had spread throughout the locality but no one came to meet. Wrapped in the sari's leg, a old lady from the neighborhood came to Amma and said to Ram Gopal ji's wife - "Hey, let someone shove food from near it, the hospitalists will take it to the hungry".
Now the question was, who should go to give them food? The daughters-in-law grabbed their mother-in-law, now the hands of Ram Gopal ji's wife started trembling as they held the plate, as if the legs were tied with pegs.
Seeing this, the neighbor said, Amma said, "Ari tera to pati hai tu bhi ......... Go face up and shrug the plate from afar, he will pick himself up and eat". Ram Gopal ji was listening silently to this conversation, his eyes were moist and he said to the shaking lips that "It is better if no one comes to me, I am not hungry either".
Meanwhile, the ambulance arrived and Ram Gopal ji was asked to sit in the ambulance. Ram Gopal ji comes to the door of the house and turns once and looks towards his house. Granddaughter - Grandson looking at the grandfather wearing a mask from the window of the first floor and both his daughters-in-law are seen behind those children. On the ground floor, the two sons were standing far away with their mother.
The storm of thoughts was rising inside Ram Gopal Ji. His granddaughter said Bye while shaking her hand. For a moment he felt 'Zindagi has said goodbye'
Ram Gopal ji's eyes became moist. Sitting in the ambulance, he kissed the dehri of his house and the ambulance left.
His wife immediately poured a bucket full of water at the door of the house, which Ram Gopal kissed and sat in the ambulance.
Call it disdain or helplessness, but seeing this scene, the dog too cried and followed the same ambulance which was taking Ram Gopal ji to the hospital.
Ram Gopal ji stayed in the hospital for a period of 14 days. All their investigations were normal. He was declared completely healthy and discharged. When he came out of the hospital, he saw his dog Marshall sitting at the hospital gate. Both hug each other. Ganges was flowing from one's eyes and Yamuna was flowing from one's eyes.
By the time his sons' long car reached to pick him up, by then he had left for another direction with his dog.
And after that he never appeared.
Today, the news of his disappearance has appeared with his photo, it is written in the newspaper that a reward of 10 thousand will be given to the informer.
10 thousand - Yes, I meditated after reading
That was the amount of monthly pension that he used to throw away laughing at the family.
Once, standing on the place of Ram Gopal ji, imagine that you were a tenant in this story? All your ego and all delights will come to an end.
So earn some merit without turning your back on the responsibility of family. Look around you and help the poor helpless, dumb animals. There is nothing in life, no one is your own as long as there is selfishness.
Life is a journey
Death is its destination
The door to salvation is karma.
This is the truth
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