#राहुलगांधी
पप्पू पास हो गया ...
https://bit.ly/2TgGxxz
एक लड़का.. जीसने अपनी दादी का गोलियां से छिन्न भिन्न शरीर देखा.. अपने पिता का तो शरीर भी नही देख पाया..जिसने अपनी माँ को राजनीति से दूर रहने को कहा और बोला देशसेवा करने के लिए राजनीति मैं जाने के लिए क्या जरूरत है मेरी दादी और पिता देश के लिए मर गए थे मैं देश के लिए जियूँगा..
फिर वो न चाहते राजनीति मैं आता है लगातार तीन चुनाव जीतता है फिर भी उसे शहजादा कहा जाता है यह शहजादा 2009 मैं अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाता है फिर भी यह शहजादा देश का शंहशाह बनने से इंकार कर देता है वो शहजादा अपनी पार्टी को बदलने की कोशिश करता है लेकिन पुराने दरबारी उसे छोटा बाबा बोल कर उसकी सियासत को बचकाना कहते है और उसे बेवकूफ का तमगा देते है
बस इसी बात को एक शातिर गुजराती व्यापारी और उसकी गैंग पकड़ लेती है और उसका नामकरण पप्पू कर देती है नैरेटिव सेट हो जाता है एक पढ़े लिखे समझदार युवा को एक नियमित दसवीं पास नेता की भक्ति गैंग सार्वजनिक रूप से पप्पू बोल कर ट्रोल करती है और मीडिया से लेकर मिडिल क्लास तक इस नैरेटिव को 5 साल तक खूब जीते है और इस नैरेटिव के कारण वो 2019 का चुनाव भी हार जाता है
वो अपरिपक्व लेकिन ईमानदार नेता कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ देता है वो परिवर्तन की सारी उम्मीद छोड़ देता है जब हमें एक समाज के रुप मे इस हारे हुए और सिस्टम से निराश व्यक्ति के साथ खड़े रहने की आवश्यकता थी तब हम ट्विटर और फेसबुक पर "पप्पू" पर निम्नतम श्रेणी के जोक बनाये जा रहे थे यह हमारे समाज की दशा और दिशा बताने के लिए काफी है
फिर कोरोना काल आता है अपनी ही पार्टी और सिस्टम से हारा छात्र फिर से कोशिश करता है समाज द्वारा पप्पू घोषित किया गया छात्र नए सिरे से राजनीति पढना और करना शुरू करता है वो लोगो और सिस्टम को तथ्यों के साथ आने वाले खतरे औऱ उससे लड़ने के उपाय बताना शुरू कर देता है लेकिन सिस्टम, सरकार और लोग उसे पप्पू समझकर तिरस्कृत कर देते है लेकिन अचानक से उसकी बताई हुई है एक एक बात सच होने लगती है सारे उपाय सरकार देर से ही सही लेकिन धीरे धीरे स्वीकार करना शुरू कर देती है
आज यह तथाकथित पप्पू मजदूरों, गरीबों औऱ मिडिल क्लास की आवाज बनकर खड़ा है और महाज्ञानी शंहशाह को भी उसकी बात माननी पड़ रही है क्योकि याद रखिये किसी डेमोक्रेटिक सिस्टम में अगर नेता फेल होते है तो वह डेमोक्रेसी भी फैल होती है आज यही सिस्टम अपने बनाये पप्पू को पास कर रहा है मतलब सिस्टम बदलने को तैयार है ..
जिस दिन आपने इस सिस्टम को बदलना तय कर लिया तो तय मानिये आपके अंदर बैठा "पप्पू" पास हो गया...
A boy .. who saw a different body torn from his grandmother's bullets ..
Could not even see his father's body ..
Who told his mother to stay away from politics
And said to do politics, what I need to go to politics. My grandmother and father died for the country.
I will live for the country ..
Then he does not want to come in politics, wins three consecutive elections
Yet he is called Shahzada, this princess gives his party a grand victory in 2009, yet this princess refuses to become the emperor of the country, she tries to change her party but the old courtiers call her her little Baba Politics is called childish and gives him the title of an idiot as Pappu
Just like this, a vicious Gujarati businessman and his gang take hold and naming him Pappu is set to be Narrative. A devotional gang of a regular tenth pass leader to a literate young man is trolled by Pappu in public and From media to middle class, this narrator has won a lot for 5 years and due to this narrator, he also loses the 2019 election.
That immature but honest leader leaves the post of president of Congress. He gives up all hope of change. When we as a society were required to stand with this loser and a person frustrated with the system, then on Twitter and Facebook "Pappu "But the lowest grade jokes were being made, it is enough to tell the condition and direction of our society.
Then comes the Corona era. The student who is defeated by his own party and system tries again. Pappu declared by the society. The student starts reading and doing politics afresh. He starts fighting the people and the system with the facts and the dangers of fighting him Starts telling the solution, but the system, the government and the people despise it as Pappu but suddenly it is told that one thing comes true. Rakar starts accepting late but slowly
पप्पू पास हो गया ...
https://bit.ly/2TgGxxz
एक लड़का.. जीसने अपनी दादी का गोलियां से छिन्न भिन्न शरीर देखा.. अपने पिता का तो शरीर भी नही देख पाया..जिसने अपनी माँ को राजनीति से दूर रहने को कहा और बोला देशसेवा करने के लिए राजनीति मैं जाने के लिए क्या जरूरत है मेरी दादी और पिता देश के लिए मर गए थे मैं देश के लिए जियूँगा..
फिर वो न चाहते राजनीति मैं आता है लगातार तीन चुनाव जीतता है फिर भी उसे शहजादा कहा जाता है यह शहजादा 2009 मैं अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाता है फिर भी यह शहजादा देश का शंहशाह बनने से इंकार कर देता है वो शहजादा अपनी पार्टी को बदलने की कोशिश करता है लेकिन पुराने दरबारी उसे छोटा बाबा बोल कर उसकी सियासत को बचकाना कहते है और उसे बेवकूफ का तमगा देते है
बस इसी बात को एक शातिर गुजराती व्यापारी और उसकी गैंग पकड़ लेती है और उसका नामकरण पप्पू कर देती है नैरेटिव सेट हो जाता है एक पढ़े लिखे समझदार युवा को एक नियमित दसवीं पास नेता की भक्ति गैंग सार्वजनिक रूप से पप्पू बोल कर ट्रोल करती है और मीडिया से लेकर मिडिल क्लास तक इस नैरेटिव को 5 साल तक खूब जीते है और इस नैरेटिव के कारण वो 2019 का चुनाव भी हार जाता है
वो अपरिपक्व लेकिन ईमानदार नेता कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ देता है वो परिवर्तन की सारी उम्मीद छोड़ देता है जब हमें एक समाज के रुप मे इस हारे हुए और सिस्टम से निराश व्यक्ति के साथ खड़े रहने की आवश्यकता थी तब हम ट्विटर और फेसबुक पर "पप्पू" पर निम्नतम श्रेणी के जोक बनाये जा रहे थे यह हमारे समाज की दशा और दिशा बताने के लिए काफी है
फिर कोरोना काल आता है अपनी ही पार्टी और सिस्टम से हारा छात्र फिर से कोशिश करता है समाज द्वारा पप्पू घोषित किया गया छात्र नए सिरे से राजनीति पढना और करना शुरू करता है वो लोगो और सिस्टम को तथ्यों के साथ आने वाले खतरे औऱ उससे लड़ने के उपाय बताना शुरू कर देता है लेकिन सिस्टम, सरकार और लोग उसे पप्पू समझकर तिरस्कृत कर देते है लेकिन अचानक से उसकी बताई हुई है एक एक बात सच होने लगती है सारे उपाय सरकार देर से ही सही लेकिन धीरे धीरे स्वीकार करना शुरू कर देती है
आज यह तथाकथित पप्पू मजदूरों, गरीबों औऱ मिडिल क्लास की आवाज बनकर खड़ा है और महाज्ञानी शंहशाह को भी उसकी बात माननी पड़ रही है क्योकि याद रखिये किसी डेमोक्रेटिक सिस्टम में अगर नेता फेल होते है तो वह डेमोक्रेसी भी फैल होती है आज यही सिस्टम अपने बनाये पप्पू को पास कर रहा है मतलब सिस्टम बदलने को तैयार है ..
जिस दिन आपने इस सिस्टम को बदलना तय कर लिया तो तय मानिये आपके अंदर बैठा "पप्पू" पास हो गया...
Could not even see his father's body ..
Who told his mother to stay away from politics
And said to do politics, what I need to go to politics. My grandmother and father died for the country.
I will live for the country ..
Then he does not want to come in politics, wins three consecutive elections
Yet he is called Shahzada, this princess gives his party a grand victory in 2009, yet this princess refuses to become the emperor of the country, she tries to change her party but the old courtiers call her her little Baba Politics is called childish and gives him the title of an idiot as Pappu
Just like this, a vicious Gujarati businessman and his gang take hold and naming him Pappu is set to be Narrative. A devotional gang of a regular tenth pass leader to a literate young man is trolled by Pappu in public and From media to middle class, this narrator has won a lot for 5 years and due to this narrator, he also loses the 2019 election.
That immature but honest leader leaves the post of president of Congress. He gives up all hope of change. When we as a society were required to stand with this loser and a person frustrated with the system, then on Twitter and Facebook "Pappu "But the lowest grade jokes were being made, it is enough to tell the condition and direction of our society.
Then comes the Corona era. The student who is defeated by his own party and system tries again. Pappu declared by the society. The student starts reading and doing politics afresh. He starts fighting the people and the system with the facts and the dangers of fighting him Starts telling the solution, but the system, the government and the people despise it as Pappu but suddenly it is told that one thing comes true. Rakar starts accepting late but slowly
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